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सभी राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद, 19वीं शताब्दी की शुरुआत में मुग़ल राजधानी में एक सांस्कृतिक बदलाव आया। आइये, हम आपको ले चलते हैं ग़ालिब की दिल्ली में..
कंक्रीट के जंगल की तरह तेज़ी से फैलते शहरों में पीने का पानी एक अनमोल चीज़ बनकर रह गया है। हम ने बात की लेखक विक्रमजीत सिंह रुपराय से जिन्होने दिल्ली की बावड़ियों के कुछ रोचक किस्से सुनाए
मुंबई के आधुनिक शहर के भीतर चिप्पी है मिट्टी के किले बनाने की परंपरा जो बच्चे छत्रपति शिवजी महाराज के प्रति प्रेम और सम्मान दर्शाने के लिए दीवाली के मौक़े पर बनाते हैं।
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