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ख़ुदा बख़्श पब्लिक ओरिएंटल लाइब्रेरी भारत की सांस्कृतिक विरासत के सबसे बेशक़ीमती ख़ज़ानों में से एक है। पटना शहर में स्थित इस लाइब्रेरी में 21 हज़ार से ज़्यादा बेशक़ीमती पांडुलिपियां और ढ़ाई लाख किताबें हैं। यहां ऱखी हुई किताबें, ख़ान बहादुर ख़ुदा बख़्श का निजी ख़ज़ाना था जो पटना में एक वकील थे। सन 1969 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व का केंद्र घोषित कर दिया। लाइब्रेरी की निदेशक डॉ शाइस्ता बेदार ने संस्थान और इसके संग्रह के बारे में अपना नज़रिया हमारे सामने रखा...
गुजरात की माता नी पछेड़ी कला सिर्फ अपनी उत्कृष्टता ही नहीं, बल्कि आस्था का एक प्रतीक होने के लिए भी जानी जाती है। सालों से लोग इसे चलते-फिरते पूजा स्थलों की तरह पूजते रहे हैं। जानिये इस कला की रोचक कहानी और कैसे आज ये पुनरुद्धार के रास्ते पर है..
क्या आप जानते है कि दो हज़ार साल पहले, सोपारा में एक प्रसिद्ध स्तूप हुआ करता था जिसकी वजह से ही सोपारा आस्था और व्यापार का बड़ा केंद्र बना? इस एपिसोड में देखिए सोपारा स्तूप की कहानी|
उदयगिरि की पहाड़ियों की खुदाई से निकली गुफाओं में आपको प्राचीनतम कलाकृतियां मिलेंगी। यहां हिन्दू देवताओं के अस्तित्व के प्रारंभिक आस्था के सबूत दिखाई पड़ते हैं।
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