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महारानी ताराबाई, छत्रपति शिवाजी महाराज की छोटी बहू, भारत की सबसे वीर महिलाओं में से एक थी जिन्होंने 7 साल तक, बादशाह औरंगजेब के साथ जंग की। पर आज भारत उनकी कहानी को भूल चुका है।
झांसी शहर आज वीरता और स्वतंत्रता का एक प्रतीक बन गया है। पर बहुत कम लोग झांसी शहर का इतिहास जानते हैं। और यहां के नेवलकर राजपरिवार की कहानी दुनिया को बताना भी बहुत आवश्यक है।
प्राचीन भारत में शिक्षा और ज्ञान के कई केंद्र थे, मगर आज के बिहार क्षेत्र में दो ऐसे महाविहार या विश्वविद्यालय के अवशेष मौजूद हैं जो एक समय पूरे विश्व में अपनी उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध थे । हम आपको बताने जा रहे हैं नालंदा और विक्रमशिला के इतहास के बारे में
ख़ुदा बख़्श पब्लिक ओरिएंटल लाइब्रेरी भारत की सांस्कृतिक विरासत के सबसे बेशक़ीमती ख़ज़ानों में से एक है। पटना शहर में स्थित इस लाइब्रेरी में 21 हज़ार से ज़्यादा बेशक़ीमती पांडुलिपियां और ढ़ाई लाख किताबें हैं। यहां ऱखी हुई किताबें, ख़ान बहादुर ख़ुदा बख़्श का निजी ख़ज़ाना था जो पटना में एक वकील थे। सन 1969 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व का केंद्र घोषित कर दिया। लाइब्रेरी की निदेशक डॉ शाइस्ता बेदार ने संस्थान और इसके संग्रह के बारे में अपना नज़रिया हमारे सामने रखा...
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