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किस्से कहानियां के इस एपिसोड में हम आपको ले चलते हैं भारत के प्रसिद्द टेक्सटाइल शहरों के सफर पर जहाँ नई पीढ़ी अपनी परंपरा को आगे ले जा रही है |
भारत और हिंदी भाषा दोनों से उर्दू भाषा का गहरा रिश्ता है। चाहे उर्दू नफ़रत और राजनीतिक विवादों से घिरी रही है, पर इसमें हमारे देश की साझा सांस्कृतिक और सामाजी विरासत का ख़ज़ाना छिपा हुआ है। वरिष्ठ पत्रकार परवेज़ अहमद के साथ जानिये उर्दू की कहानी...
गुजरात के अहमदाबाद, चम्पानेर और पावागढ़ जैसे शहरों में आज भी आपको गुजरात सल्तनत के गौरवशाली इतिहास के गवाह मिलेंगे। यहाँ तक कि अहमदाबाद शहर की स्थापना का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। मगर कैसे इन सुल्तानों ने, बाकी कई उभरती सल्तनतों के बीच अपनी जगह बनाई?
ख़ुदा बख़्श पब्लिक ओरिएंटल लाइब्रेरी भारत की सांस्कृतिक विरासत के सबसे बेशक़ीमती ख़ज़ानों में से एक है। पटना शहर में स्थित इस लाइब्रेरी में 21 हज़ार से ज़्यादा बेशक़ीमती पांडुलिपियां और ढ़ाई लाख किताबें हैं। यहां ऱखी हुई किताबें, ख़ान बहादुर ख़ुदा बख़्श का निजी ख़ज़ाना था जो पटना में एक वकील थे। सन 1969 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व का केंद्र घोषित कर दिया। लाइब्रेरी की निदेशक डॉ शाइस्ता बेदार ने संस्थान और इसके संग्रह के बारे में अपना नज़रिया हमारे सामने रखा...
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