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इलाहबाद या प्रयागराज शहर का मिंटो पार्क भारत के इतिहास और इस शहर के इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय का गवाह रहा है। यहीं से सन 1858 में लॉर्ड चार्ल्स कैनिंग ने क्वीन विक्टोरिया का फ़रमान पढ़ा था
बुंदेलखंड क्षेत्र में मौजूद तालबेहट क़िला बुन्देली वास्तुकला, कई मान्यताओं और राजा मर्दन सिंह के शौर्य का अद्भुत मिलन है, जो आज इसके खंडहरों में दफ़न है। ले चलते हैं आपको इस क़िले के दिलचस्प सफ़र पर
राजस्थान के शेखावाटी इलाके की ये शानदार हवेली ...कभी रौनक देखने लायक थी लेकिन अब वीरान पड़ी हैं। दशकों पहले इस हवेली के वारिस परदेस क्या गए, लौट के नहीं आए। जानिए क्या है इन हवेलियों की कहानी।
झाँसी शहर के जोखन बाग़ का सम्बन्ध भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक, सन 1857 के स्वंत्रता संग्राम से है। यहाँ सन 1857 में कई अंग्रेज़ों का नरसंहार हुआ था। आज ये उस घटना की एक यादगार है।
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