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आज मध्य प्रदेश के अशोकनगर ज़िले में स्तित चंदेरी क़स्बा, अपनी खूबसूरत साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। सोने और चांदी के जारी से सजी चंदेरी साड़िया यहाँ से दुनिया भर एक्सपोर्ट होती है। पर बहुत कम लोग जानते है, की चंदेरी में कुछ ऐसे शानदार स्मारक है जो पर्यटकों के होश उदा देते है। ये गवाह है उस ज़माने के जब चंदेरी भारत के सबसे महत्वपूर्ण शहरो में से एक हुआ करता था। इस स्पेशल रिपोर्ट में जानिए चंदेरी की कहानी।
क्या आप जानते हैं, कि लाखों साल पहले भारत, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया से जुड़ा हुआ था? या ये कि आप वास्तव में कर्नाटक में पृथ्वी का एक हिस्सा यानि भूपर्पटी को छू सकते हैं? इतना ही नहीं, मेघालय में हड़प्पा सभ्यता का सफाया करने वाले सूखे के सबूत आज भी देखे जा सकते हैं। जानिये भारत में मौजूद भारतीय उपमहाद्वीप के बनने के चिन्हकों के बारे में
गुजरात के अहमदाबाद, चम्पानेर और पावागढ़ जैसे शहरों में आज भी आपको गुजरात सल्तनत के गौरवशाली इतिहास के गवाह मिलेंगे। यहाँ तक कि अहमदाबाद शहर की स्थापना का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। मगर कैसे इन सुल्तानों ने, बाकी कई उभरती सल्तनतों के बीच अपनी जगह बनाई?
ख़ुदा बख़्श पब्लिक ओरिएंटल लाइब्रेरी भारत की सांस्कृतिक विरासत के सबसे बेशक़ीमती ख़ज़ानों में से एक है। पटना शहर में स्थित इस लाइब्रेरी में 21 हज़ार से ज़्यादा बेशक़ीमती पांडुलिपियां और ढ़ाई लाख किताबें हैं। यहां ऱखी हुई किताबें, ख़ान बहादुर ख़ुदा बख़्श का निजी ख़ज़ाना था जो पटना में एक वकील थे। सन 1969 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व का केंद्र घोषित कर दिया। लाइब्रेरी की निदेशक डॉ शाइस्ता बेदार ने संस्थान और इसके संग्रह के बारे में अपना नज़रिया हमारे सामने रखा...
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