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आपने बंगाल के कपास से बनी ढाका की मलमल के बारे में तो सुना होगा, जो इतनी महीन होती थी कि एक अंगूठी से गुज़र सकती थी। बंगाल के कपास की कहानी और आज उसकी दशा जानने के लिए हम पहुंचे कालना
रेख़्ता की सफलता से उर्दू साहित्य और शायरी में एक नई क्रांति आई है। इस डिजिटल प्लेटफार्म ने उर्दू को दुनिया भर में एक नए अंदाज़ में परोसा है साथ ही युवा शायरों के कलाम पब्लिश किए।जुड़िए इस सफर पर
महाराष्ट्र में ज़्यादातर क़िले या तो पहाड़ियों और पर्वतों पर स्थित हैं, या समंदर के किनारे।ऐसा ही एक क़िला है परांडा क़िला जो उस्मानाबाद ज़िले के परांडा तालुका में स्थित है।
देवी अहिल्याबाई होलकर को भारत के सबसे कुशल शासिकाओं में माना जाता हैं I सन 1767 से लेकर सन 1795 तक, अपने अट्ठाईस वर्ष के शासन काल के दौरान इन्होने वाराणसी से लेकर रामेश्वरम तक और सोमनाथ से लेकर उत्तरकाशी तक सैंकड़ों मंदिरों, घाटों और धर्मशालाओं का निर्माण करवायाI समाज सुधार में अपनी एक महत्वपूर्ण छाप बनाने वाली अहिल्याबाई होलकर ने अपने शासनकाल में कई कठिनाईयों का सामना भी किया I जानिये इस महान रानी की ये प्रेरणादायक कहानी...
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