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इसे भारत के सबसे पुराने स्थायी क़िलों में से एक माना जाता है और इसके मज़बूत होने का एक कारण इसका महान सामरिक मूल्य भी हैं। देखिये बठिंडा क़िले की कहानी, जहां सुल्तान रज़िया को एक बार कैद किया गया था।
आज ताज महल के बारे में पूरा विश्व जानता है और आगरा शहर की पहचान भी इसी से है। मगर ताज महल के परे भी आगरा की अपनी एक कहानी है। अपने समय में ये सबसे समृद्ध शहरों में से एक था और कहा जाता है कि कभी पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था का 1/5 हिस्सा आगरा से आता था। आज भी इसकी संस्कृति, भव्य इमारतें और विरासत देखने लायक है।
महाराणा उदय सिंह ने 1553 में उदयपुर शहर की स्थापना मेवाड़ की नयी राजधानी के रूप में की थी और तभी से ये शहर मेवाड़ की शान और धरोहर का एक प्रतीक है। आइये जानते हैं उदयपुर के इतिहास की कहानी...
ख़ुदा बख़्श पब्लिक ओरिएंटल लाइब्रेरी भारत की सांस्कृतिक विरासत के सबसे बेशक़ीमती ख़ज़ानों में से एक है। पटना शहर में स्थित इस लाइब्रेरी में 21 हज़ार से ज़्यादा बेशक़ीमती पांडुलिपियां और ढ़ाई लाख किताबें हैं। यहां ऱखी हुई किताबें, ख़ान बहादुर ख़ुदा बख़्श का निजी ख़ज़ाना था जो पटना में एक वकील थे। सन 1969 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व का केंद्र घोषित कर दिया। लाइब्रेरी की निदेशक डॉ शाइस्ता बेदार ने संस्थान और इसके संग्रह के बारे में अपना नज़रिया हमारे सामने रखा...
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