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पानीपत का तीसरा युद्ध जो सन १७६१ में मराठो और अफ़ग़ान शासक अहमद शाह अब्दाली की फौजो के बीच लड़ा गया आज भारत, पाक्सितान और अफ़ग़ानिस्तान मे काफी चर्चा का विषय बन गया है|
67 सालों तक पुणे का शनिवार वाड़ा मराठा सामराज्य का ही नहीं बलकी पूरे भारत के राजनीती का केंद्र था। पर आज उसके बस कुछ अवशेष ही बचे हैं। जानिए क्या है शनिवार वाड़ा की कहानी...
अरब महासागर के किनारे खड़ा है शक्तिशाली और शानदार कोलाबा क़िला। व्यापारियों और नौसेना के बेड़ों का केंद्र रहा यह बंदरगाह महान मराठा सरखेल कान्होजी आंग्रे का मुख्यालय हुआ करता था।
मुग़लों के दौर में भी मनाया जाता था दीपों का महोत्सव। पढ़िए ये ख़ास पेशकश...
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