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१७वीं और १९वीं शताब्दी में चिनसुराह बंगाल में डच लोगों का एक समृद्ध व्यापारिक केंद्र था । ये डच ही नहीं बल्कि अंग्रेज़ों, अर्मेनिया के नागरिकों, बंगालियों का भी घर होता था।
सरखेज रोजा को एक समय अहमदाबाद का आध्यात्मिक केंद्र माना जाता था। यहाँ पर आपको कुछ अति सुंदर स्मारक मिलेंगे जो विभिन्न शैलियों के मिलन का एक उदाहरण हैं। जानिए क्या है इस खुबसुरत स्मारक की कहानी।
मध्य प्रदेश में ग्वालियर का क़िला एक लोकप्रिय स्थान है। लेकिन इसी क़िले के परिसर में वास्तुकला का एक अजूबा भी है। ये हैं चट्टानों को तराश कर बनाईं गईं जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां हैं जिन्हें गोपाचल पर्वत जैन स्मारक कहा जाता है। इनका शुमार चट्टानों को तराशकर बनाईं गईं अनोखी मूर्तियों में किया जाता है।
वह इतने प्रसिद्ध सूफी संत थे कि एक पूरा गेट -टर्कमैन गेट, शाहजहाँ की राजधानी शाहजहानाबाद में उनके नाम पर रखा गया था
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