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१७वीं और १९वीं शताब्दी में चिनसुराह बंगाल में डच लोगों का एक समृद्ध व्यापारिक केंद्र था । ये डच ही नहीं बल्कि अंग्रेज़ों, अर्मेनिया के नागरिकों, बंगालियों का भी घर होता था।
बिदर का मेहमूद गवान मदरसा ख़ास है क्योंकि एक प्रसिद्द शिक्षा और ज्ञान का केंद्र होने के साथ साथ ये यहाँ के बहमनी सल्तनत के महत्वपूर्ण वज़ीर, मेहमूद गवान की धरोहर भी है।
क्या आप जानते हैं, कि मुंबई में एक समय लगभग 10 क़िले हुआ करते थे? इनमें से एक है सायन क़िला या शींव किला। माना जाता है कि सायन क़िले का निर्माण 17वीं शताब्दी में अंग्रेज़ों ने करवाया था। और अपने स्थान के कारण, यह एक महत्वपूर्ण क़िला था।
अरावली की ऊँची पर्वतमालाओं पर स्थित इस प्राचीन क़िले का इतिहास अजमेर के चौहान शासकों से जुड़ा है। जानिए कैसे अजमेर को राजधानी की उपाधि हासिल हुई ?
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