भारत में दुनिया के कुछ सबसे शानदार किले और महल हैं। वे हमारे देश की समृद्ध विरासत और वास्तुकला के लिए एक वसीयतनामा हैं। कुछ महलों का निर्माण राजाओं द्वारा अपनी संपत्ति को दिखाने के लिए किया गया था, अन्य का निर्माण अकाल के समय में अपने नागरिकों को रोजगार प्रदान करने के लिए किया गया था। कुछ महल आज भी वंशजों द्वारा बसाए गए हैं, कुछ पर्यटन के लिए खुले हैं, कुछ खंडहरों में हैं, और कुछ होटल में बदल गए हैं। लेकिन ये सभी हमारे इतिहास का हिस्सा रहे हैं।
आज हम आपको उन 5 महलों के सैर पर ले चलते हैं जो भारतीय राजघरानों के घर थे…
1- डीग पैलेस, राजस्थान
राजस्थान में भरतपुर से 35 किलो मीटर दूर एक पैलेस-परिसर है जो 18वीं शताब्दी के आरंभ में जाट राजवंश के उत्थान का केंद्र रहा है। है।डीग पैलेस शिल्पकारी का अद्भुत नमूना तो है ही साथ ही जाट समुदाय के उत्थान में भी इसकी ख़ास जगह है।
डीग पैलेस-परिसर दोनों तरफ़, दो बड़े तालाबं से घिरा है । एक तरफ़ गोपाल सागर और दूसरी तरफ़ रूप सागर है। महल, बाग़ और भवन बीच मे बने हैं। परिसर को ठंडा रखने की पूरी व्यवस्था की गई है। इसी वजह से गर्मियों में भी महल ठंडे रहते हैं। पैलेस-परिसर में सबसे आकर्षक भवन है… गोपाल भवन और दो अन्य भवन हैं…जिनके नाम बारिश के दो महीनों यानी सावन और भादव पर ऱखे गए हैं।
डीग पैलेस की शिल्पकारी की विशेषता उसके भवन ही हैं। यानी गोपाल भवन, सूरज भवन, किशन भवन, नंद भवन, केशव भवन और हरदेव भवन। केशव भवन, बारिश के मौसम के लिए है जो रूप सागर तालाब के किनारे पर बना है। बताया जाता है कि तालाब से हौज़ों में पानी भरने के लिए बैलों की मदद ली जाती थी। हौज़ो की दिवीरों में कई फ़व्वारे निकलते थे। होली के अवसर पर तालाब की दिवारों के छेदों में रंग भर दिए जाते थे। पाइपों के ज़रिए जो पानी आता था उसमें से निकलते रंग इंद्रधनुषी फ़व्वारों की तरह लगते थे। और पढ़ें
2- मैसूरु का राज महल, कर्नाटक
कर्नाटक के शाही शहर की कभी न भुलाई जानेवाली तस्वीर अगर कोई है तो वह है काले आकाश के बीच चमकता हुआ मैसूरू महल ।
ब्रिटेन के मशहूर आर्किटैक्ट हैनरी इरविन ने महल का नक्शा तैयार किया था। यह महल सन 1912 में बनकर तैयार हुआ था। इसके निर्माण पर कुल साढ़े इक्तालीस लाख रूपये खर्च हुये थे। इस तीन मंज़िला महल में 145 फुट ऊंचा एक मीनार भी है। बुनियादी तौर पर इसका डिज़ाइन इंडो-सरास्निक (अरबी) है लेकिन इसमें हिंदू, मुग़ल, राजपूत और गोथिक शिल्प की झलक भी मिलती है।
मुख्य द्वार पर एक बड़ी महराब बनी है जिस पर मैसूरु राज्य का चिन्ह और हथियार बने हुये हैं। उसके आसपास संस्कृत में वाडियार राजवंश का सिद्धांत , “न बिभेति कदाचन” अर्थात “कभी भयभीत न हों” लिखा है। बीच की मेहराब के ऊपर धन की देवी गजलक्ष्मी की मूर्ती बनी ही है जिसमें वह अपने हाथी के साथ हैं। और पढ़ें
3- छतर मंज़िल पैलेस, लखनऊ
छतर मंज़िल या अंब्रेला पैलेस हाई कोर्ट की पुरानी बिल्डिंग के सामने लखनऊ की महात्मा गांधी रोड पर स्थित है। ये कभी लखनऊ की बेगमों का निवास हुआ करता था। इसका संबंध लखनऊ दरबार में रहे फ्रांस के प्रसिद्ध यात्री क्लॉड मार्टिन (1735-1800) की कोठी से भी रहा है।
फ़रहत बख़्श कोठी या छतर मंज़िल पैलेस शहर की स्थापत्यकला के बेहतरीन नमूनों में से एक है जिसे आज छतर मंज़िल के नाम से जाना जाता है। भवन की बनावट की वजह से इसका नाम छतर मंज़िल पड़ गया। मेजर जनरल क्लॉड मार्टिन ने अपने निवास के पास गोमती नदी के किनारे के जंगलों को साफ़ कर फ़रहत बख़्श कोठी बनाई थी जिसे वह अपना टाउन हाउस कहते थे। मार्टिन का शहर के बाहर भी एक बड़ा घर था जिसे कोंस्टेंशिया कहते थे और जहां अब ला मार्तिनियर कॉलेज है। फ़रहत बख़्श कोठी का निर्माण कार्य सन 1781 में पूरा हो गया था और मार्टिन यहां सन 1800 तक रहे। यहीं एक कमरे में उनका निधन हुआ था।
फ़रहत बख़्श कोठी या छतर मंज़िल उस समय एक अनूठी इमारत थी। भवन का भू-तल भी दो मंज़िला था, ये मंज़िलें तभी नज़र आती थीं जब नदी का जलस्तर बहुत कम हो जाता था। इस तरह के तलघर बहुत बड़े होते थे और मॉनसून में जब नदी का जलस्तर बढ़ जाता था तब इनमें पानी भर जाया करता था। ऐसे में ये तलघर ख़ाली छोड़ दिए जाते थे और नदी का जलस्तर कम होने पर ही यहां वापसी होती थी। तलघर के दो तरफ़ अष्टकोणीय मीनारें थीं, जहां से हवा आती थी ताकि तलघर ठंडा रहे। हाल ही में मिली शाही गोंडोला नाव से इन बातों को बल मिलता है। और पढ़ें
4- विजय विलास पैलेस, गुजरात
विजय विलास पैलेस, कच्छ, गुजरात, में मांडवी के समुद्र-तट पर स्थित कच्छ के जडेजा महाराज का ग्रीष्मकालीन महल है। 4000 साल से भी पुराना कच्छ का इतिहास विविध और रचनात्मक संस्कृति से भरा हुआ है। मांडवी के मशहूर विजय विलास महल में भारत के विभिन्न क्षेत्रों के कारीगरों की मिश्रित कला की झलक दिखाई देती है। और जानने के लिए देखें ये वीडियो
5- मुबारक मंडी महल, जम्मू
जम्मू का शानदार मुबारक मंडी महल इस प्रांत के इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसी जगह से डोगरा राजाओ ने दो सौ साल तक अपने विराट राज्य पर शासन किया। पर इस महल का इतिहास सिर्फ उन तक सीमित नहीं था। महल परिसर में सं 1824 की सबसे पुरानी इमारत है। उत्तराधिकारी महाराजाओं ने आकार और भवन में परिसर को जोड़ा और जिसमे 150 साल से अधिक समय लगा। वास्तुकला राजस्थानी वास्तुकला और यूरोपीय बारोक और मुगल शैलियों का मिश्रण है। और जानने के लिए देखें ये वीडियो
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