भोजेश्वर: एक अधूरा अजूबा

भोजेश्वर: एक अधूरा अजूबा

भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और हिमालय में केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक आपको मशहूर शिव मंदिर यानी 12 रहस्यमय ज्योतिलिंग मिलेंगे। इसी तरह का एक मंदिर है भोपाल के पास भोजेश्वर मंदिर जिसे प्रसिद्ध शिव मंदिरों की सूची में होना चाहिये था लेकिन वह उस सूची में शामिल नहीं है हालंकि इस मंदिर में देश का सबसे बड़ा शिवलिंग है।

भारत में सबसे लंबा शिवलिंग  | विकिमीडिया कॉमन्स

भोपाल से क़रीब 28 कि.मी. दूर मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में बेतवा नदी के तट पर एक छोटा-सा गांव है भोजपुर। यहां मंदिर का निर्माण मालवा के परमार शासक राजा भोज (1010-1055) ने करवाया था। राजा भोज अपनी राजधानी धार में रहते थे और वह कला, साहित्य और विज्ञान के बड़े संरक्षक थे। लोक कथाओं के अनुसार राजा भोज ने भोपाल बसाया था जिसे तब भोजपाल कहा जाता था।

भोपाल में राजा भोज की मूर्ति | विकिमीडिया कॉमन्स

कहा जाता है कि राजा भोज ने भोजपुर में मिट्टी के तीन बड़े बांध बनवा और एक बड़ा तालाब भी बनवाया जिसमें पानी जमा किया जाता था लेकिन बाद में मालवा के सुल्तान होशंग शाह ने इन्हें नष्ट कर दिया। इस मानव निर्मित तालाब के किनारों पर उन्होंने भोजेश्वर नाम से एक विशाल मंदिर बनवाने की योजना तैयार करवाई थी। मंदिर के लिए जो शिव लिंग बनवाया गया था वह 7.5 फ़ुट ऊंचा है और 17.8 फ़ुट इसकी परिधि है। ये शिवलिंग एक चौकोर प्लेटफ़ार्म पर बना हुआ है जिसके किनारे 21.5 फुट लंबें हैं। प्लेटफ़ार्म सहित लिंगम की कुल ऊंचाई 40 फ़ुट से अधिक है। इसी वजह से ये भारत का सबसे बड़ा शिवलिंग है। ये तीन बड़े चूना-पत्थर का बना है जो एक दूसरे पर चढ़े हुए हैं।

तीन लाइमस्टोन ब्लॉकों से बने एक मंच पर स्थित लिंगम एक दूसरे पर आरोपित है। | विकिमीडिया कॉमन्स

मंदिर निर्माण का सही समय तो ज्ञात नहीं है लेकिन इतिहासकार डॉ. कीर्ति मनकोडी के अनुसार ये मंदिर राजा भोज के बाद के शासनकाल में क़रीब 11वीं शताब्दी के मध्य में बना था। मंदिर निर्माण का कार्य बीच में ही रुक गया था और ये कभी पूरा नहीं हो सका। इतिहासकारों का मानना है कि अधूरे निर्माण की वजह प्राकृतिक आपदा, युद्ध या फिर वित्तीय संसाधनों की कमी हो सकती है। मंदिर के आसपास, मंदिर निर्माण का कच्चा माल, मंदिर के आधे अधूरे हिस्से और पत्थरों पर उंकेरे गईं वास्तु-योजनाएं मिली हैं।

भोजेश्वर मंदिर में अधूरे निर्माण भाग मिले | विकिमीडिया कॉमन्स

सन 2006-2007 में पुरातत्वविद के.के. मोहम्मद के नेतृत्व में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के दल ने मंदिर के संरक्षण के लिये प्रयास किये थे। के.के. मोहम्मद के अनुसार मंदिर निर्माण पूरा नहीं हो पाने की वजह ये हो सकती है कि मंदिर का ढांचा पत्थर की छत का वज़न नहीं उठा सका हो और छत गिर गई होगी। इसके बाद राजा न तो छत दोबारा बनवा सके और न ही मंदिर ही बन सका।

मंदिर के लिए स्थापत्य की पत्थर की नक्काशी | विकिमीडिया कॉमन्स

पत्थरों पर अंकित मूल वास्तु-योजना से पता चलता है कि राजा भोज एक विशाल मंदिर परिसर बनाना चाहते थे लेकिन वह कभी बन नहीं सका। अगर ये बन जाता तो ये देश का का सबसे बड़ा मंदिर परिसर होता और शायद इसकी गिनती प्रसिद्ध ज्योतिरलिंग में होती।

एलएचआई हिस्ट्री गाइड

भोजेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में भोजपुर गांव में स्थित है। यहां से सबसे क़रीब रेलवे स्टेशन भोपाल जंक्शन है। जो भोजपुर गांव से 30 किलो मीटर दूर है। इसके अलावा सबसे क़रीब एयर पोर्ट, भोपाल का राजा भोज एयरपोर्ट है जो यहां से 45 कि.मी दूर है।

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