भारत की सबसे प्राचीन गणेश प्रतिमा

भारत की सबसे प्राचीन गणेश प्रतिमा

‘गणपत्ति बप्पा मोरया!’, एक ऐसा जयकारा जो एक आवाज़ के साथ शुरू होता है और हज़ारों आवाज़ों की गूँज के साथ बंद होता है। हिन्दू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं गणेश, एक छोटी सी टपरी खोलने से लेकर बड़ी से बड़ी कम्पनी तक बिना गणपति मूर्ति की स्थापना के सब आरम्भ अधूरे है। यानी गणेश का आशीर्वाद हर छोटे-से-छोटे काम के पहले लिया जाता हैं | उनकी विभिन्न प्रकार की प्रतिमाएं लोगो के घरों, गाड़ियों और दफ्तरों में पायी जाती हैं | जिसकी जैसी श्रद्धा उसकी वैसी प्रतिमा, कोई छोटी मिट्टी में अपने भगवान को पूजता है तो कोई हीरे जवाहरात की मूर्त में गणपति की आराधना करता है | पर क्या आप जानते हैं कि भारत की सबसे प्राचीन गणेश प्रतिमा कहाँ पायी जाती है?

इसका जवाब आपको मिलेगा, मध्य प्रदेश के विदिशा जिले मे स्थित, उदयगिरि पहाड़ी की एक गुफ़ा मे |

उदयगिरि की गुफ़ा सं. 6 मे मौजूद, पांचवी सदी की गुप्त साम्राज्य कालीन गणेश शिल्प, भारत की सबसे प्राचीन गणेश प्रतिमा मानी जाती है | उदयगिरि में कुल २० गुफाएँ हैं जिनमे से कुछ गुफ़ाओं का निर्माण गुप्त साम्राज्य के सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन काल मे हुआ | इतिहासकार मानते है की, गणेश की प्रतिमा पूजन का आरम्भ गुप्त राजवंश (450-500 सी.ई.) के काल में हुआ | इस काल से पहले गणेश की प्रतिमा का स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता।

उदयगिरि पहाड़ी

बेसनगर या प्राचीन विदिशा (भूतपूर्व ग्वालियर सियासत) के निकट उदयगिरि विदिशा नगरी ही का उपनगर था। एक अन्य गुफ़ा में गुप्त संवत् 425-426 ई. में उत्कीर्ण कुमार गुप्त प्रथम के शासन काल का एक अभिलेख है। इसमें शंकर नामक किसी व्यक्ति द्वारा गुफ़ा के प्रवेश-द्वार पर जैन तीर्थ कर पार्श्वनाथ की मूर्ति के प्रतिष्ठापित किए जाने का उल्लेख है। गुफ़ा छः से प्राप्त लेख से ज्ञात होता है कि उस क्षेत्र पर सनकानियों का अधिकार था। उदयगिरि के द्वितीय गुफ़ा लेख में चन्द्रगुप्त के सचिव पाटलिपुत्र निवासी वीरसेन उर्फ शाव द्वारा शिव मन्दिर के रूप में गुफ़ा निर्माण कराने का उल्लेख है। वह वहाँ चन्द्रगुप्त के साथ किसी अभियान में आया था।

समय के अनुसार उदयगिरि से सात घंटे की दूरी पर स्तिथ, सतना जिले के भूमरा गाँव मे एक और पांचवी सदी की गुप्त कालीन गणेश प्रतिमा पाई गयी है | भूमरा का शिव मंदिर, भारत के सबसे प्राचीन मंदिरो मे माना जाता है | इस मन्दिर का अब केवल गर्भगृह विद्यमान है | यहाँ पर एक गणेश प्रतिमा है, जो उदयगिरि की प्रतिमा से समकालीन मानी गयी है |

अगर आप कभी उदयगिरि या भूमरा जाए तो इन ऐतिहासिक गणेश शिल्पो को देखना ना भूले!

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