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देहरादून की पहचान से मशहूर घंटाघर, इस स्थान के लिए भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है। ये एशिया का इकलौता ऐसा घंटाघर है, जिसका निर्माण षट्भुजीय आकार में हुआ है। जानिये इस ख़ास संरचना के बारे में
कर्नाटक के बिदर में एक सुन्दर ईमारत है जो ईरान के एक सूफी संत, हज़रत-ख़लील-उल्लाह का मज़ार है। मगर दक्षिण भारत के इस हिस्से में मौजूद ये मज़ार क्यों ख़ास है? जानिये चौखंडी की कहानी जो आज भी बीते समय में बिदर के साथ सूफ़ियों के सम्बन्ध और बहमनी सुल्तानों की धरोहर की एक महत्वपूर्ण निशानी है।
चंदेरी के सबसे खूबसूरत स्मारकों में से एक है कोशक महल, जो एक सुल्तान की जीत की याद दिलाता है। इसका निर्माण मालवा के सुलतान महमूद खिलजी ने सन 1445 में करवाया था।
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