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कर्नाटक के बिदर में एक सुन्दर ईमारत है जो ईरान के एक सूफी संत, हज़रत-ख़लील-उल्लाह का मज़ार है। मगर दक्षिण भारत के इस हिस्से में मौजूद ये मज़ार क्यों ख़ास है? जानिये चौखंडी की कहानी जो आज भी बीते समय में बिदर के साथ सूफ़ियों के सम्बन्ध और बहमनी सुल्तानों की धरोहर की एक महत्वपूर्ण निशानी है।
क्या आपको पता है कि मुंबई से क़रीब 165 कि.मी. दूर भारत का सबसे पुराना टोल बूथ हुआ करता था? ये टोलबूथ, नानेघाट है जो पहली ई.पू. शताब्दी में सातवाहन वंश के समय का है।
कोच्चि का मट्टानचेरी पैलेस, जिसे डच पैलेस के नाम से भी जाना जाता है, पुर्तगालियों ने बनवाया, उसके बाद डच ने इस पर फ़िर से काम कर के इसे और भव्य बनाया। ये कोच्चि रियासत का शाही निवास स्थान भी रहा।
चंदेरी के सबसे खूबसूरत स्मारकों में से एक है कोशक महल, जो एक सुल्तान की जीत की याद दिलाता है। इसका निर्माण मालवा के सुलतान महमूद खिलजी ने सन 1445 में करवाया था।
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