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कर्नाटक के बिदर में एक सुन्दर ईमारत है जो ईरान के एक सूफी संत, हज़रत-ख़लील-उल्लाह का मज़ार है। मगर दक्षिण भारत के इस हिस्से में मौजूद ये मज़ार क्यों ख़ास है? जानिये चौखंडी की कहानी जो आज भी बीते समय में बिदर के साथ सूफ़ियों के सम्बन्ध और बहमनी सुल्तानों की धरोहर की एक महत्वपूर्ण निशानी है।
मेहरौली के चहल पहल के बीच खड़ा बेहतरीन स्मारक-आधम ख़ान के मक़बरा का निर्माण मुग़ल बादशाह अकबर ने 16वी शताब्दी में करवाया था जिन्होंने आधम ख़ान की मृत्यु का आदेश भी दिया था।
नालासोपारा 2000 साल पहले पश्चिमी भारत के सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक था। यहाँ के चक्रेश्वर महादेव मंदिर के बाहर, भगवान ब्रह्मा की 6 फ़ुट ऊंची आश्चर्य-जनक प्रतिमा, खड़ी हुई मुद्रा में मौजूद है
इलाहबाद या प्रयागराज शहर का मिंटो पार्क भारत के इतिहास और इस शहर के इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय का गवाह रहा है। यहीं से सन 1858 में लॉर्ड चार्ल्स कैनिंग ने क्वीन विक्टोरिया का फ़रमान पढ़ा था
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