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झाँसी शहर के जोखन बाग़ का सम्बन्ध भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक, सन 1857 के स्वंत्रता संग्राम से है। यहाँ सन 1857 में कई अंग्रेज़ों का नरसंहार हुआ था। आज ये उस घटना की एक यादगार है।
भवानी मंडप कोल्हापुर के छत्रपतियों के जूना राजवाड़ा यानी पुराने महल का भव्य प्रवेश-द्वार हुआ करता था। भवानी मंडप और जूना राजवाड़ा, कोल्हापुर के, पिछले 250 वर्ष के इतिहास के गवाह रहे हैं।
बहमनी राजशाही ख़त्म होने के बाद, अहमद शाह निज़ाम ने, सन 1490 में, निज़ाम शाही की दक्कनी हुकुमत क़ायम की थी । दिलचस्प कहनियों के साथ हम आपको ले चलतें हैं अहमदनगर के सफर पर
मध्य प्रदेश में ग्वालियर का क़िला एक लोकप्रिय स्थान है। लेकिन इसी क़िले के परिसर में वास्तुकला का एक अजूबा भी है। ये हैं चट्टानों को तराश कर बनाईं गईं जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां हैं जिन्हें गोपाचल पर्वत जैन स्मारक कहा जाता है। इनका शुमार चट्टानों को तराशकर बनाईं गईं अनोखी मूर्तियों में किया जाता है।
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