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कोंकण तट में कोर्लई क़िले को पुर्तगालियों के सबसे ताक़तवर क़िला का दर्जा हासिल है, जो उनके, अहमदनगर सल्तनत और मराठों के बीच जंगों का गवाह भी रहा I जानिये इस क़िले की कहानी..
वह इतने प्रसिद्ध सूफी संत थे कि एक पूरा गेट -टर्कमैन गेट, शाहजहाँ की राजधानी शाहजहानाबाद में उनके नाम पर रखा गया था
इलाहबाद या प्रयागराज शहर का मिंटो पार्क भारत के इतिहास और इस शहर के इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय का गवाह रहा है। यहीं से सन 1858 में लॉर्ड चार्ल्स कैनिंग ने क्वीन विक्टोरिया का फ़रमान पढ़ा था
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