समोसा एक ऐसा व्यंजन है जो हमारे देश की हर गली, मोहल्ले से लेकर पंच सितारा होटलों तक में उपलब्ध है। बस स्टॉप में खींच कर आवाज़ लगाता हुआ ‘समूऊऊसे’ से लेकर किसी पंच सितारा होटेल का बेरे तक जो शहनील के कपड़े में तमीज़ के साथ आपकी प्लेट में परोसता हुआ, मुस्कुरा के चटनी डालता हुआ और कहता है, “सर योर समोसा” आप कही भी खा सकते है… स्वादानुसार.
समोसे के शौक़ीन खाते वक़्त शायद ना सोच पाए, लेकिन खाने के बाद कभी सोचा कि आखिर ये समोसा आया कहां से? सीधी सा जवाब हलवाई की दुकान से, लेकिन इतिहास कुछ और भी कहता है। समोसा असल में फारसी शब्द ‘सम्मोकसा’ से बना है। माना जाता है कि समोसा की उत्पत्ति 10वीं शताब्दी से पहले कहीं मध्य पूर्व में हुई थी और यह 13वीं से 14वीं शताब्दी के बीच भारत में आया। समोसे का मध्य पूर्व से भारत तक का सफर कई कहानियों के साथ देखने को मिलता है। असल में यह भारत आए व्यापारियों के साथ आया और आते ही लोगों की ज़ुबान पर इसका स्वाद ऐसा चढ़ा की देखते ही देखते समोसा भारत में भी मशहूर हो गया।
इतिहासकारो के मुताबिक दसवीं सदी में गजनवी साम्राज्य के शाही दरबार में एक ‘नमकीन पेस्ट्री’ परोसी जाती थी और इस पेस्ट्री को कीमा और सूखा मेवा भरकर बनाया जाता था। यह काफी हद तक समोसे जैसी ही होती थी। 16वीं सदी में पुर्तगाली जब अपने साथ आलू लाए, तो इसे यहां काफी पसंद किया गया। इसी के साथ समोसे को भी आलू का साथ मिल गया। आज ये अल्पाहार या नाश्ते के रूप में विश्व के विभिन्न देशों में अलग-अलग नामो से प्रचलित हैं।
महान कवि अमीर खुसरो (1253-1325) ने एक जगह ज़िक्र किया है कि दिल्ली सल्तनत में उस दौरान कीमा वाला, घी में डुबोया समोसा शाही परिवार के सदस्यों व अमीरों का प्रिय व्यंजन था. १४ वीं शताब्दी में भारत यात्रा पर आये इब्न बतूता ने मोहम्मद बिन तुगलक के दरबार का वृतांत देते हुए लिखा कि “दरबार में भोजन के दौरान मसालेदार गोश्त, मूंगफली और बादाम से भरकर तैयार किया गया लज़ीज़ समोसा परोसा गया, जिसे लोगों ने बड़े चाव से खाया”। यही नहीं 16वीं शताब्दी के मुग़लकालीन दस्तावेज ‘आईन-ए-अकबरी’ में भी समोसे का ज़िक्र मिलता है।
नासिर शाह (1500-1510) के शासनकाल के दौरान मांडू में चित्रित ‘निमतनामा’ पांडुलिपि (पाक कला की पुस्तक) में भी इसका ज़िक्र मिलता है। इसमें एक तस्वीर है, जिसमें मांडू के सुल्तान घियात साही को समोसा परोसा जा रहा है।
समोसा…
लिए अपना तिकोना आकार,
बना लोगों का मुख्य आहार,
चमन हलवाई का व्यापार,
समस्त परिवार का प्यार
आया ज़बान पर जो एक बार
खाता रहे बार बार, हर बार