ख़ातिरदारी करने वाली टॉय ट्रेन

ग्वलियर के जय विलास पैलेस की आलीशान डायनिंग टैबल पर चांदी की एक खिलौना-ट्रेन अपने ख़ास अंदाज़ में चलती रहती है। लगभग 120 वर्ष पहले, यह सुंदर कलाकृति यानी खिलौना-ट्रेन, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दादा यानी ग्वालियर के महाराजा माधवराव सिंधिया ने बनवाई थी।

माधव राव सिंधिया ग्वालियर के पांचवें महारजा थे, जिन्होंने सन 1886 से सन 1926 तक राज किया था।वह गैजेट(यंत्रों) के बड़े शौक़ीन थे। वह पहले महाराजा थे जिनके पास कार थी। वह मशीनों और टैकनोलजी से बेहद प्रभावित रहते थे। उन्होंने गवालियर में एक छोटी ट्रेन भी चलवाई थी जो ग्वालियर राज्य के 28 स्टैशनों से होकर गुज़रती थी। वह इंजिन चलाना भी जानते थे।अपने मशीन-प्रेम और उनके बारे में जानकारियों की वजह से,शौक़िया तौर पर, वह ख़ुद इंजिन ड्रायवर बन गए थे।

लेकिन ग्वालियर और सिंधिया-परिवार चांदी की बनी जिस ख़िलौना-ट्रेन की वजह से मशहूर है, वह ट्रेन, महाराजा ने सन 1906 में, ब्रिटेन की मशहूर बासैट लोक कम्पनी से बनवाई थी। वह कम्पनी आज भी खिलौना-ट्रेन के मॉडल बनाती है। इस मॉडल खिलौना-ट्रेन को जय विलास पैलेस के बैंक्वेट हाल ( दावत-घर) में रखा गया । डायनिंग टेबल पर छोटी छोटी पटरियां बिछाई गईं। ताकि खिलौना-ट्रेन उन पटरियों पर अपने ख़ास अंदाज़ में चले और महाराजा के मेहमानों को सिगार, वाइन और शराब पेश करती रहे। इस खिलौना ट्रेन में चांदी का बना एक इंजिन और 7 डब्बे हैं जो चाँदी से बने हैं , साथ ही शराब उंडेलने के लिए जारनुमा भी हैं जो काँच के बने हैं।

यह खिलौना-ट्रेन एक पैनल से चलती है। जैसे ही कोई जार उठाया जाता है, वैसे ही ट्रेन रुक जाती है। चांदी की इस ट्रेन को आज भी जय विलास पैलेस में देखा जा सकता है।

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