महाराष्ट्र के शहर पुणे में इतिहास की एक नायाब चीज़ है जिसे पातालेश्वर गुफा मंदिर कहते हैं । 400 साल पुराना ये मंदिर शिवाजी नगर रोड पर है । पातालेश्वर मंदिर की बनावट ही इसका मुख्य आकर्षण है । मंदिर दिखने में अधूरा सा लगता है । समझा जाता है कि गर्भ गृह में किसी कमी की वजह से इसे और तराशना जोख़िम भरा हो गया था और इसीलिए ये अधूरा रह गया लेकिन इसके बावजूद इसकी महत्व पर कोई असर नहीं पड़ा है ।
यह मंदिर चट्टान तराशकर गुफा या मंदिर बनाने की वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है ।
पहाड़ को काटकर बनाए गए इस मंदिर की गुफाएँ अजंता और एलोरा जैसी दिखाई देती हैं । ईसा पूर्व आठवीं शताब्दी का यह मंदिर पुणे के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और बेहद दर्शनीय स्थल है । यहां की गुफाओं में भारत के गौरवशाली अतीत की झलक मिलती है । देश के लगभग हर राज्य में कुछ गुफाएं ऐसी भी हैं जिनका ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व है।
कहा जाता है कि गुफाओं में देवालय बनाने की शुरूआत पशुपथ संप्रदाय ने की थी । शिव के मुख्य पुजारी के रूप में विख्यात पशुपथ संप्रदाय ने अजंता और एलोरा जैसी विश्व प्रसिद्ध गुफाओं का भी निर्माण किया था।
महाराष्ट्र के सबसे मशहूर शहरों में से एक पुणे भारत का आठवां महानगर है । ये महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है । पुणे अपने व्यावसायिक और औद्योगिक महत्व के लिए भी जाना जाता है । समुद्र तल से 760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह शहर किसी ज़माने में मराठा पेशवा बाजीराव के साम्राज्य का केंद्र भी हुआ करता था । बाजीराव के शासनकाल में ही पुणे का सबसे ज़्यादा विकास हुआ था।
ये शहर 1817 ई. में अंग्रेज़ों के हिंदुस्तान पर आक्रमण का गवाह भी रहा है । देश को आज़ादी मिलने के पहले पुणे शहर मॉनसून में अंग्रेज़ों की राजधानी और छावनी हुआ करता था ।
आज पुणे अपने आईटी, हस्तकला और ऑटोमोबाइल व्यवसाय के लिए पहचाना जाता है । इस शहर को आज भी पेशवाओं और मराठों की धरती के नाम से ही जाना जाता है यानी यह एक से बढ़कर एक शूरवीरों की जन्मस्थली रही है।
एक समय पातालेश्वर मंदिर पुणे के बाहर हुआ करता था लेकिन लगातार विकास और आबादी के बढ़ने की वजह से अब यह मंदिर शहर के बीच आ गया है । आर्केओलॉजी के विशेषग्यों के अनुसार यह गुफा मंदिर क़रीब 400 साल से भी ज़्यादा पुराना है । ये मंदिर 1977 में खुदाई में निकला था ।
खुदाई के दौरान एक दिलचस्प जानकारी मिली कि इस मंदिर को जानबूझकर ज़मीन में क़रीब 20-22 फ़ुट नीचे बनाया गया था ।
आज भी यह मंदिर ज़मीन के नीचे ही है । मंदिर की सुरक्षा के लिए इसके चारों तरफ़ कुएँ जैसी संरचना हैं । यहां की गहरी गुफाएँ और आसपास की हरियाली पर्यटकों का मन मोह लेती हैं । इस शिवालय में दर्शन के लिए सुबह 8 से शाम 7 तक का समय बेहतर है ।
पातालेश्वर को पांचालेश्वर या बम्बुरदे भी कहा जाता है ।
स्थानीय कथाओं के अनुसार, 6ठी से 10वीं शताब्दी के दौरान राष्ट्रकूट वंश के शासनकाल के दौरान चट्टान को तराशकर पातालेश्वर गुफा मंदिर बनाया गया था । यहाँ बैठने की काफ़ी जगह है इसलिए पर्यटक यहां बैठकर ध्यान लगा सकते हैं ।
श्री पातालेश्वर देवस्थान का प्रवेश द्वार बहुत ही ख़ूबसूरत है । द्वार के दोनों तरफ़ आकर्षक कलाकृतियां हैं । गुफा के प्रवेश द्वार पर शिव के वाहन नंदी की भव्य प्रतिमा है ।
अगर आप देवालय देखना चाहते हैं तो नीचे दी गई जानकारी आपके लिए मददगार होगी:
कैसे जाएं पातालेश्वर मंदिर, पुणे?
हवाई मार्ग: पुणे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, लोहेगांव पहुंचें । भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से पुणे के लिए सीधी विमान सेवा हैं । हवाई अड्डे से पुणे शहर की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है ।
रेल मार्ग: रेल मार्ग से पुणे आसानी से पहुंचा जा सकता है । पुणे स्टेशन देश के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: पुणे शहर सभी राजमार्गों से जुड़ा हुआ है ।
कब आएं: वैसे तो इस शहर का मौसम ३६५ दिन सुहाना रहता है लेकिन दिसंबर से अप्रैल तक का समय पर्यटकों के लिए बेहतर माना जाता है |